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आज इस उम्दा कलाकार की बर्थ एनिवर्सरी पर आपके लिए लाए हैं उनके लिखे हुए 15 चुनिंदा डायलॉग्स.

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कादर ख़ान जो सिर्फ़ एक अभिनेता नहीं, बल्कि पूरा का पूरा इंस्टीट्यूट थे. वो जितने बेहतरीन अभिनेता थे, उतने ही उम्दा लेखक भी थे.उन्होंने मुक़द्दर का सिकंदर, अग्निपथ, सरफ़रोश कुली नं. 1 और कुली जैसी कई फ़िल्मों के लिए बेहतरीन डायलॉग्स लिखे हैं. आज इस उम्दा कलाकार की बर्थ एनिवर्सरी पर आपके लिए लाए हैं उनके लिखे हुए 15 चुनिंदा डायलॉग्स.          दीपक वैष्णव       जिला उपाध्यक्ष ग्रामीण   छ.ग. मानव अधिकार संगठन         राजनांदगांव (छ.ग)    मोबाइल नंबर -7803030002

मुख्यमंत्री श्री Bhupesh Baghel जीने छत्तीसगढ़ में दीपावली की सांस्कृतिक परंपरा के अनुरूप आज #धनतेरस पर अपने निवास के द्वार पर धान की झालर बांधने की रस्म पूरी की।- दीपावली के दौरान खेतों में नयी फसल पककर तैयार होने के बाद ग्रामीण धान की नर्म बालियों से कलात्मक झालर तैयार करते हैं।

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मुख्यमंत्री श्री Bhupesh Baghel जी ने छत्तीसगढ़ में दीपावली की सांस्कृतिक परंपरा के अनुरूप आज #धनतेरस पर अपने निवास के द्वार पर धान की झालर बांधने की रस्म पूरी की। - दीपावली के दौरान खेतों में नयी फसल पककर तैयार होने के बाद ग्रामीण धान की नर्म बालियों से कलात्मक झालर तैयार करते हैं।             दीपक वैष्णव       जिला उपाध्यक्ष ग्रामीण   छ.ग. मानव अधिकार संगठन         राजनांदगांव (छ.ग)    मोबाइल नंबर -7803030002

क्या आप जानते है कि केला 🍌 और नारियल 🥥 सनातनी हिन्दुओ के पूजा पाठ में खास स्थान क्यूं रखते है?

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क्या आप जानते है कि केला 🍌 और नारियल 🥥  सनातनी हिन्दुओ के पूजा पाठ में खास स्थान क्यूं रखते है? नारियल और केला ये दो ही ऐसे फल है जो किसी के जूठे बीज से उत्पन्न नही होते, मतलब अगर हमे आम का पेड़ लगाना है तो हम आम को खाते है और उसके बीज या गुठली को जमीन में गाड़ते है तो वह पौधे के रूप में उगता है, या फिर ऐसे ही गुठली निकाल के लगा दे तो भी वह उस पेड़ का बीज (जूठा या अंग) ही हुआ, लेकिन केले का या नारियल का पेड़ लगाने को केवल जमीन से निकला हुआ पौधा (ओधी) ही  लगाते है, जो की खुद में ही पूर्ण है,न किसी का बीज न हिस्सा, न जूठा, इसलिए भगवान को सम्पूर्ण फल अर्पित किया जाता है। हमारे पूर्वज कितने ज्ञाता थे, जो चीजे हमे आज तक पता नहीं वो पहले से जानते थे और उसका जीवन में इस्तेमाल कर जीवन पध्दति में ढाल लिए थे, जो हमे परंपरा से प्राप्त हुआ है, केवल हम उन्हे इस्तेमाल करते गए पर उनकी क्यों और क्या महत्ता है ये कभी भी जानने की कोशिश नही किये। अपनी संस्कृति, अपना गौरव🚩             दीपक वैष्णव       जिला उपाध्यक्ष ग्रामीण   छ.ग. मानव अधिकार संगठन         राजनांदगांव (छ.ग.     मोबाइल नंबर

धनतेरस के शुभ अवसर पर आराध्य बाला जी सरकार के दरबार में पूज्य गुरुदेव ने पूजन-अर्चन किया…और समस्त जनमानस के कल्याण की कामना की…

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धनतेरस के शुभ अवसर पर आराध्य बाला जी सरकार के दरबार में पूज्य गुरुदेव ने पूजन-अर्चन किया…और समस्त जनमानस के कल्याण की कामना की…   दीपक वैष्णव       जिला उपाध्यक्ष ग्रामीण   छ.ग. मानव अधिकार संगठन         राजनांदगांव (छ.ग.     मोबाइल नंबर -7803030002

रमा एकादशी व्रत का महत्व

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रमा एकादशी व्रत का महत्व और लाभ रमा एकादशी व्रत: शुक्रवार, 21 अक्टूबर 2022 क्या है रमा एकादशी? हिन्दू मान्यताओं के अनुसार रमा एकादशी को सबसे शुभ और महत्वपूर्ण एकादशी माना जाता है। हिंदू कैलेंडर में, रमा एकादशी कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष के दौरान 11वें दिन मनाई जाती है। यह कार्तिक कृष्ण एकादशी या रम्भा एकादशी जैसे अन्य नामों से भी लोकप्रिय है, और दीवाली के त्यौहार से चार दिन पहले आती है। रमा एकादशी व्रत को सबसे महत्वपूर्ण एकादशी उत्सवों में से एक माना जाता है। धार्मिक रूप से बेहद खास इस एकादशी का व्रत मनुष्य को सभी पापों से मुक्त कर देता है। रमा एकादशी का यह उपवास सभी स्त्रियों और पुरुषों के लिए अत्यंत सौभाग्यप्रद एवं कल्याणकारी माना गया है। क्यों मनाई जाती है रमा एकादशी? माता लक्ष्मी को रमा भी कहा जाता है इसलिए कार्तिक मास की इस एकादशी को भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है। शास्त्रों के अनुसार, मां लक्ष्मी के नाम पर ही इस एकादशी को रमा एकादशी कहा जाता है। इस व्रत के करने से भगवान श्री विष्णु के आशीर्वाद के साथ मां लक्ष्मी की कृपा भी प्राप्त होती है, एवं व्रत करने वाल