छत्तीसगढ़ी (कविता)गरीब के देवारी तिहार

छत्तीसगढ़ी (कविता)गरीब के देवारी तिहार


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गरीब मन के देवरी तिहार, लिपे अउ पोते अंगना दुवार।
कुम्हड़ा कोचई मही में राधे, बरा बर बोरे उरीद के दार।।

लकर- धकर दशराहा मनागे, तर्रा- कोपरा होगे खेत खार।
कातिक महिना कतको काम, लकठा में हे देवारी तिहार।।

माटी के घर में माटी कुरिया, छाजन तरी लगे हे मियार।
छानी के ऊप्पर बेंदरा कूदई, कांड कठवा में लग्गे दियांर।।

ठूठी बुहारी अउ टूटहा सूपा, ओन्हा - कोंन्हा घूमे घर द्वार।
कचरा खोजत जोजन परगे, बिजली बंद तो चिमनी बार।।

साल भर में आथे देवारी, सियान चिंता लइका हुशियार।
देवारी तिहार मनाय नइ हे, जेठौनी में खाबोन खुशियार।। 

लइका सियान नवा कपड़ा, फटाका धलो नइ मिले उधार।
गरीब के देवारी गर्मजोशी, तैयारी में होथे घर के सुधार।।

कमइया किसान करजा बुडे, बनाना हे कोठार खम्हियार।
हरियर धान सोनहा बाली, खिचड़ी खवात होथे मुंधियार।।

उत्ता धूर्रा संझौती के बेरा, गोरधन खुंदाय राऊत ठेठवार।
बैगा गुनिया सब देवता झूपे, जोर से सीटी बजाय कोटवार।।

बजनिया मन जोर से बजाव, डांग -डोरी वाले रहू हुशियार।
देखइया सबो तीर में खड़े हे, थोरकुन अउ बने दूरिहा टार।।

फटाका वाले दूरिहा फोरो, फुलझड़ी रंग - रंग के मजेदार।
गांव में गरीब के देवारी तिहार, अंधियार के बेरा दिया बार।।

✍️ सन्त राम सलाम
जिला बालोद छत्तीसगढ़।
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         दीपक वैष्णव 
     जिला उपाध्यक्ष ग्रामीण
  छ.ग. मानव अधिकार संगठन
        राजनांदगांव (छ.ग)
   मोबाइल नंबर -7803030002

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