*नारी के संघर्ष की गाथा को प्रकट करती है। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस*,,,,,,,,,,, *शिव वर्मा*

     राजनांदगांव जिला भाजपा पिछड़ा वर्ग मोर्चा के जिला अध्यक्ष पार्षद के प्रवक्ता शिव वर्मा ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर महिलाओं को बधाई और शुभकामनाएं देते हुए कहा कि।धरती पर महिलाओं के बिना जीवन की परिकल्पना भी नहीं की जा सकती। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवसउपर्युक्त पंक्तियाँ पूर्ण रूप से एक नारी के संघर्ष की गाथा को प्रकट करती हैं। इसी नारी का हजारों वर्षो से शोषण होता आया है, कभी आडंबरों के माध्यम से, तो कभी परिवार के सम्मान के लिए, इसी नारी को सम्मान देने तथा उनकी उपलब्धियों का गुणगान करने तथा उनके समर्पण को मुल्य प्रदान करने के लिए प्रत्येक वर्ष 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवसकी शुरुआत आज से लगभग एक सदी पूर्व एक समाजवादी आंदोलन के माध्यम से हुई थी जो कि एक श्रम आंदोलन से उपजा था। इसके बाद संयुक्त राष्ट्र ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को वार्षिक रूप से मनाने की मान्यता दी थी।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत साल 1908 में हुई थी, जब न्यूयॉर्क शहर की सड़कों पर हजारों महिलाएं घंटों काम के लिए बेहतर वेतन और सम्मान तथा समानता के अधिकार को प्राप्त करने के लिए उतरी थी। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाने का प्रस्ताव क्लारा जेटकिन का था, उन्होंने साल 1910 में यह प्रस्ताव रखा था। पहला अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस साल 1911 में ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विट्ज़रलैंड में मनाया गया था।अगर हम विचार करें, तो हम पाते हैं कि आज की तारीख में महिलाएं पुरुषों से बहुत आगे निकल गई हैं। महिलाओं को जब-जब अवसर दिया गया, तब-तब उन्होंने पूरे विश्व को बता दिया कि वह पुरुष के बराबर ही नहीं, बल्कि कई मौकों पर वे उनसे कई गुना बेहतर साबित हुई हैं। आज विश्व पटल पर महिलाएं नए-नए कीर्तिमान स्थापित कर रही हैं। अब वह समय नहीं रहा जब महिलाएं घर की चार-दिवारी में बंद की जाती थी। अब महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं।

भले ही आज भारत में महिलाओं के उत्थान के लिए भरसक प्रयास किए जा रहे हैं, परंतु इसकी शुरुआत राजा राम मोहन राय ने की थी। उन्हें भारतीय पुनर्जागरण का अग्रदूत भी माना जाता है। उन्होंने भारतीय समाज से सती प्रथा जैसी कुप्रथाओं को समाप्त करने का प्रयास किया। वर्त्तमान समय में भारत सरकार महिलाओं की स्थिति को सुधारने का प्रयास कर रही है, साल 2001 में भारत सरकार ने महिला सशक्तिकरण हेतु अपनी राष्ट्रीय नीति का गठन किया

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